Monday, June 25, 2012

श्री साई श्री साईं वन्दना साईं शंकर साईं ब्रह्मा साईं आप नारायण || साईं प्रभु दातात्रैय करो सदा तिन के गुणगायन || साईं जग के भाग्यविधाता साईं भक्ति मुक्ति दाता || साईं से है सच्चा नाता साईं मात पिता गुरु भ्राता || साईं शरण में जो भी आता पूरण साईं दया है पाता || जन्म मरण ता का छुट जाता न फिर आता ना वै जाता || In the Holy Feet of my Sadguru Sai Nath Ji mharaj.

Monday, June 18, 2012


साईं तेरे द्वारे आऊँ बाबा तुझको शीश नवाऊँ साईं तेरे द्वारे आऊँ बाबा तुझको शीश नवाऊँ तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ तुझपे वारि वारि जाऊँ तेरा रस्ता मँज़िल मेरी तुझको पाना चाहत मेरी तेरे पथ पर चलती जाऊँ थकूँ रुकूँ ना बढती जाऊँ तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ तुझपे वारि वारि जाऊँ तेरा सुमिरन काम है मेरा मन मन्दिर में धाम है तेरा साईं साईं रटती जाऊँ साँस साँस से तुझको ध्याऊँ तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ तुझपे वारि वारि जाऊँ तेरी कथा कहूँ सुनूँ मैं तेरा लीला गान गुनूँ मैं तेरी महिमा सुनूँ सुनाऊँ तेरी चर्चा में सुख पाऊँ तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ तुझपे वारि वारि जाऊँ तुझपे श्रद्धा तेरी भक्ति तुझसे चाहत और आसक्ति तुझसे ही बस आस लगाऊँ मन में दृढ विश्वास जगाऊँ तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ तुझपे वारि वारि जाऊँ.... ॐ साईं राम..

Monday, June 11, 2012

Sai Kast Nivaran Mantra Kasto ki kali chhaya dukh dayi hai, Jivan me ghor udasi lai hai. Sankat ko talo Sai duhai hai, Tere siva na koi sahai hai. Mere man teri murat samai hai, Har pal har kshan mahima gai hai. Ghar mere kasto ki andhi aai hai, Apne kyu meri sudha bhulai hai. Tum Bholenath ho, daya nidhan ho, Tum Hanuman ho maha balvan ho. Hum hi ho Ram aur tum hi Shyam ho, Sare jagat me tum sabse mahan ho. Tum hi Mahakali tum hi Ma Sarde, Karta hu prarthana bhav se tarde. Tum hi Mohammad ho garib navaz ho, Nanak ki vani me ish ke sath ho. Tum hi Diggambar, tum hi kabir ho, Ho Buddha tumhi aur Mahavir ho. Sare jagat ka tumhi aadhar ho, Nirakar bhi aur saakar ho. Karta hu vandana prem vishawas se,

Saturday, June 9, 2012

************************************************ ॐ साईं राम राम नाम इस कलयुग में सबसे अधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली साधना है ************************************************ ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥ ************************************************ साईं वचन - नवधा भक्ति -- श्रवण कीर्तन नामस्मरण पाद -सेवन अर्चन वंदन दासता सख्यता आत्म - निवेदन "इनमे से यदि एक भी प्रकार की भक्ति को भी सत्यता से कार्यरूप में लाया जाये तो भगवान श्रीहरि उससे प्रसन्न होकर उसके घर प्रकट हो जाएँगे" ************************************************ ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं ************************************************ श्री सच्चिदानंद साई महाराज को साष्टांग नमस्कार करके उनके चरण पकड़ कर हम सब भक्तों के कल्याणार्थ उनसे प्रार्थना करते है कि हे साई । हमारे मन की चंचलता और वासनाओं को दूर करो । हे प्रभु । तुम्हारे श्रीचरणों के अतिरिक्त हममें किसी अन्य वस्तु की लालसा न रहे । श्री साईं जी के वचनों को पड़ने के लिए आएं..
Sai Vacah, Sai Kirpa
*************************** ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं निर्बल और गरीब के, मालिक साईं नाथ | सबका मालिक एक है, भज ले दीनानाथ || श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे *************************** अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय ! *************************** साईं वचन - मेरे भक्तों में दया कूट-कूटकर भरी रहती है, दूसरों पर दया करने का अर्थ है मुझे प्रेम करना चाहिए, मेरी भक्ति करना| *************************** ---शिवजी की आरती--- शीश गंग अर्द्धागड़ पार्वती,सदा विराजत कैलाशी | नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,धरत ध्यान सुर सुख रासी || शीतल मंद सुगंध पवन बहे,वहाँ बैठे है शिव अविनासी | करत गान गंधर्व सप्त स्वर,राग रागिनी सब गासी || यक्षरक्ष भैरव जहं डोलत,बोलत है बनके वासी | कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,भंवर करत हैं गुंजासी || कल्पद्रुम अरु पारिजात,तरु लाग रहे हैं लक्षासी | कामधेनु कोटिक जहं डोलत,करत फिरत है भिक्षासी || सूर्य कांत समपर्वत शोभित,चंद्रकांत अवनी वासी | छहों ऋतू नित फलत रहत हैं,पुष्प चढ़त हैं वर्षासी || देव मुनिजन की भीड़ पड़त है,निगम रहत जो नित गासी | ब्रह्मा विष्णु जाको ध्यान धरत हैं,कछु शिव हमको फरमासी || ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर,सदा अनंदित सुखरासी | जिनको सुमरिन सेवा करते,टूट जाय यम की फांसी || त्रिशूलधर को ध्यान निरन्तर,मन लगाय कर जो गासी | दूर करे विपता शिव तन की,जन्म-जन्म शिवपत पासी || कैलाशी काशी के वासी,अविनासी मेरी सुध लीज्यो | सेवक जान सदा चरनन को,आपन जान दरश दीज्यो || तुम तो प्रभुजी सदा सयाने,अवगुण मेरो सब ढकियो | सब अपराध क्षमाकर शंकर,किंकर की विनती सुनियो || ******************************* श्री सच्चिदानंद साई महाराज को साष्टांग नमस्कार करके उनके चरण पकड़ कर हम सब भक्तों के कल्याणार्थ उनसे प्रार्थना करते है कि हे साई । हमारे मन की चंचलता और वासनाओं को दूर करो । हे प्रभु । तुम्हारे श्रीचरणों के अतिरिक्त हममें किसी अन्य वस्तु की लालसा न रहे । श्री साईं जी के वचनों को पड़ने के लिए आएं.....