Wednesday, July 25, 2012

किया कुछ ना मैंने शर्मसार हूँ मैं तेरी राहतों का करजदार हूँ मैं दिया कुछ नहीं बस लिया ही लिया है मैंने साईं तेरा शुक्रिया है बाबा तेरा शुक्रिया है
दो दिन जग मेँ जीना है, इस पर कया तू मान करे । झुठी काया झुठी माया, झुठा कया अभिमान करे ।। धरा रहेगा सब कुछ यहाँ पर, साथ नही कुछ जायेगा । निकल गया जब समय हाथ से, तलियाँ मल पछतायेगा ।। चेत जरा और नाम सुमिर ले, समय से लाभ उठा ले तू । भजन भगति मेँ दिल लगा कर, जीवन सफल बना ले तू ।
जिंदगी में सिमरन की मिठ्ठास रहे अपने सद्गुरु पे पूरा विश्वास रहे कहने को तो दुखों की नगरी है ज़िन्दगी पर ख़ुशी से कट जावे अगर दिखा दो इक बार, मुझे अपनी सुहानी शिर्डी, सुना है कि जन्नत से कम नहीं तुम्हारी शिर्डी, रहम कीजिये मेरा जहाँ में कोई ना, कि दर पे तुम्हारे कमी है कोई ना, कमी है कोई ना,
ॐ साँई राम!!! वाह रे वाह ओ समझदार इंसान इतना कुछ मिला तुझे शुक्र ना हुआ कुछ एक आध रह गया फट गिला दे दिया.

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